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राष्ट्रीय सुशासन केंद्र ( एनसीजीजी ) ने बांग्लादेश के प्रशासनिक अधिकारियों के लिए 60वां सीबीपी आरंभ किया, अभी तक एनसीजीजी द्वारा बांग्लादेश के 2,145 अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है

एनसीजीजी के डीजी श्री भरत लाल ने प्रशासनिक अधिकारियों को ‘ एशिया की शताब्दी ‘ बनाने में समर्पण के साथ काम करने के लिए प्रेरित किया

श्री भरत लाल ने कहा, प्रबंधन के बजाए हम दीर्घकालीन सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए स्थायी समाधान की कुंजी प्रदान कर रहे हैं

New Delhi (IMNB).

बांग्लादेश के प्रशासनिक अधिकारियों ( 60वां बैच ) के लिए 2 सप्ताह के क्षमता निर्माण कार्यक्रम ( सीबीपी ) का उद्घाटन मसूरी के एनसीजीजी परिसर में किया गया। प्रशिक्षण के पहले चरण के सफल समापन के बाद, एनसीजीजी ने बांग्ला देश की सरकार के साथ 2025 तक अतिरिक्त 1,800 प्रशासनिक अधिकारियों के कौशलों एवं क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के एक भाग के रूप में, पिछले दो वर्षों में, एनसीजीजी ने पहले ही बांग्ला देश के 517 अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान कर दिया है।

“ लोक-केंद्रित “ होने और नागरिकों को विकास रणनीति के अग्रिम हिस्से पर रखने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के शासन मंत्र के अनुरुप, एनसीजीजी का कार्यक्रम प्रशासनिक अधिकारियों के बीच नागरिक केंद्रित शासन के सिद्धांत को फिर से सुदृढ़ करता है। इसका लक्ष्य सर्वश्रेष्ठ कार्ययोजनाओं और डिजिटल शासन के अंगीकरण को बढ़ावा देते हूए सूचना, ज्ञान एवं नवोन्मेषी विचारों के आदान प्रदान को प्रोत्साहित करना है। प्रशासनिक अधिकारियों की संवेदनशीलता और जवाबदेही को बढ़ाने के जरिये, यह कार्यक्रम लोक प्रशासन में अधिक दक्षता और प्रभावशीलता लाने का प्रयास करता है।

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उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रीय सुशासन केंद्र ( एनसीजीजी ) के महानिदेशक श्री भरत लाल द्वारा की गई। अपने संबोधन में, उन्होंने रेखांकित किया कि क्षमता निर्माण कार्यक्रम का विकास बांग्लादेश की सरकार और ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग के सहयोग से किया गया है। इस कार्यक्रम का प्राथमिक उद्देश्य ज्ञान और नवोन्मेषणों के आदान प्रदान को सुगम बनाना है जिन्हें शासन और सार्वजनिक सेवा वितरण को बढ़ाने के लिए भारत में कार्यान्वित किया गया है। श्री भरत लाल ने इसकी पूरी क्षमता का लाभ उठाने के लिए कार्यक्रम के महत्व पर बल देते हुए भाग लेने वाले अधिकारियों को सक्रिय रूप से शामिल होने तथा इस अवसर का अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया।

अपने संबोधन में, डीजी ने 21वीं सदी को ‘ एशिया की सदी ‘ बनाने में भारत और बांग्लादेश जैसी साझीदारियों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया। उन्होंने समग्र रूप से महाद्वीप की प्रगति और विकास में योगदान देने में इन लोकतांत्रिक देशों की असीम क्षमता, विकास और प्रभाव को रेखांकित किया। उन्होंने यह सुनिश्चित करने में प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका को रेखांकित किया कि नागरिकों को त्वरित गति से और कुशलतापूर्वक अनिवार्य सुविधाएं प्राप्त हो सके। उन्होंने उनसे अन्य सुविधाओं के साथ साथ आवास, जल, शौचालय, कुकिंग गैस, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, वित्तीय सेवाओं और कौशल विकास जैसी मूलभूत सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करने के लिए गति और परिमाण के साथ काम करने की अपील की।

राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए, उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से महिलाओं को सशक्त बनाने का आग्रह किया। उन्होंने एक ऐसा वातावरण के सृजन के महत्व पर जोर दिया जो जेंडर समानता को बढ़ावा देता है, यह सुनिश्चित करता है कि महिलाओं की अवसरों, संसाधनों और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं तक समान रूप से पहुंच हासिल हो।

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अग्रिम पंक्ति के उत्तरदाताओं और नीतियों को लागू कराने वालों के रूप में, प्रशासनिक अधिकारियों की आपदा प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है। चक्रवात और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के विनाशकारी प्रभाव को स्वीकार करते हुए, उन्होंने लचीली अवसंरचनाओं और प्रतिक्रिया प्रणालियों के सृजन में प्रशासनिक अधिकारियों के सक्षमकर्ताओं के रूप में काम करने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया। डाटा केंद्रित दृष्टिकोणों को अपनाने तथा प्रौद्योगिकी की शक्ति का लाभ उठाने के द्वारा, प्रशासनिक अधिकारी अपनी निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को बढ़ा सकते हैं, दक्ष संसाधन आवंटन को सुगम बना सकते हैं और ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित समुदायों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित कर सकते हैं।

अधिकारियों के जिला स्तर पर परिवर्तन एजेंटों के रूप में काम करने वाले के रूप में स्वीकार करते हुए, श्री भरत लाल ने नीति कार्यान्वयन में अग्रिम पंक्ति में होने की उनकी स्थिति पर जोर दिया। उन्होंने सहभागी अधिकारियों को इस कार्यक्रम से 4-5 प्रमुख सीखों की पहचान करने के लिए प्रोत्साहित किया जिसे वे अपने काम के वातावरण की आवश्यकताओं के अनुरुप संशोधनों के साथ अनुकूलित कर सकते हैं और दुहरा सकते हैं। उन्होंने कहा कि परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में उनकी भूमिका, स्थानीय संदर्भों की उनकी गहरी समझ के साथ मिल कर उन्हें नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने और अपने संबंधित क्षेत्रों में सकारात्मक परिणाम देने के लिए तैयार करती है।

कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण देते हुए, पाठ्यक्रम के समन्वयक डॉ. ए पी सिंह ने कहा कि 60वां  क्षमता निर्माण कार्यक्रम में, एनसीजीजी देश में आरंभ की गई विभिन्न पहलों जैसेकि शासन, डिजिटल शासन के बदलते प्रतिमान, पासपोर्ट सेवा और मदद की केस स्टडी, सभी के लिए आवास, डिजिटल प्रौद्योगिकी, विभिन्न विकास स्कीमों, योजनाओं की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं का लाभ उठाना तथा पर्यावरण के अनुकूल सिटीज का निर्माण करना – केस स्टडीज और भारत की समग्र संस्कृति : एक पारलौकिक यात्रा, आधार : सुशासन का एक टूल, तटीय क्षेत्र के विशेष संदर्भ के साथ आपदा प्रबंधन, अखिल भारतीय सेवाओं का संक्षिप्त विवरण, तकनीकी, समाजशास्त्रीय और पर्यटन परियोजना : स्टेच्यू ऑफ यूनिटी की केस स्टडी, सार्वजनिक – निजी साझेदारियां, स्वामित्व स्कीम : ग्रामीण भारत के लिए संपत्ति सत्यापन, स्वास्थ्य क्षेत्र में निष्पादन अनुकूलन, नेतृत्व, समन्वयन एवं संचार, ई-शासन और डिजिटल इंडिया उमंग, पीएम गति शक्ति योजना, जीईएम : शासन में पारदर्शिता लाना, पीएमजीएसवाई : ग्रामीण कनेक्टिविटी के लिए एक कार्यक्रम, हरित ऊर्जा, डिजिटल शासन एवं सार्वजनिक सेवा वितरण, सतर्कता प्रशासन, महिला-केंद्रित शासन, भ्रष्टाचार विरोधी रणनीतियां, चक्रीय अर्थव्यवस्था, चुनाव प्रबंधन आदि।

उन्होंने यह भी कहा कि कार्यक्रम के एक भाग के रूप में, सहभागियों को विभिन्न विकास परियोजनाओं एवं संस्थानों का अवलोकन करने के लिए ज्ञानवर्द्धक दौरों की शुरुआत करने का भी अवसर प्राप्त होगा। ये दौरे उन्हें बहुमूल्य अंतर्दृष्टि तथा उल्लेखनीय पहलों और संगठनों का प्रत्यक्ष अनुभव भी प्रदान करेंगे। कुछ नियोजित दौरों में सहारनपुर में जिला प्रशासन, भारत के संसद और प्रधानमंत्री संग्रहालय आदि शामिल हैं।

विदेश मंत्रालय की साझीदारी में, एनसीजीजी ने 15 देशों अर्थात बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनिशिया, सेशेल्स, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, नेपाल, भूटान, म्यांमार और कंबोडिया के प्रशासनिक अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया है। बढ़ती मांग को स्वीकार करते हुए, एनसीजीजी देशों की बढ़ती सूची से बड़ी संख्या में प्रशासनिक अधिकारियों को समायोजित करने के लिए अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए सक्रियतापूर्वक काम कर रहा है। इस विस्तार का लक्ष्य बढ़ती मांग को पूरा करना और यह सुनिश्चित करना है कि अधिक से अधिक देश एनसीजीजी द्वारा प्रस्तुत की जा रही विशेषज्ञता और संसाधनों का लाभ उठा सकें।

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इस पूरे क्षमता निर्माण कार्यक्रम का पर्यवेक्षण बांग्लादेश के लिए पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. ए पी सिंह, सह- पाठ्यक्रम समन्वयक तथा एनसीजीजी की क्षमता निर्माण टीम के डॉ. संजीव शर्मा द्वारा किया जाएगा।

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